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लेखनी प्रतियोगिता -22-Feb-2022 यही प्रेम है।।

प्रेम क्या है?


गर तुम सोचते हो कि,
एक दूसरे संग बातें करना, 
मैसेज करना, लिव इन में रहना, 
ये प्रेम है,,,तो तुम गलत हो मित्र,
प्रेम की परिभाषा मेरी नजरों में गौर कीजिए।

गौरा का हठ प्रेम है,
उमा का तप प्रेम है।
प्रेम है सती से मिलना,
सती से बिछड़ना प्रेम है।

शिव का क्रोध प्रेम है,
शिव की भस्म प्रेम है।
प्रेम है शिव का मिलना,
शिव में मिलना प्रेम है।

रघुनंदन की वाणी प्रेम है,
रघुनंदन की मुस्कान प्रेम है।
प्रेम है सिया का स्वयंवर,
उन्हें ब्याह कर लाना प्रेम है।

सिया की आंखें प्रेम है,
सिया की बातें प्रेम है।
सब सुख छोड़ राम संग,
वन में जाना प्रेम है।

हनुमान की भक्ति प्रेम है,
हनुमान की शक्ति प्रेम है।
विभीषण के ताना देते ही,
चीर सीना दिखाना प्रेम है।

श्री कृष्ण की मुरली प्रेम है,
वृंदावन की गलियां प्रेम है।
उन गलियों में गूंजता हुआ,
मीराबाई का तारा प्रेम है।

किसी को पाना प्रेम नही,
किसी को खोना प्रेम है।
किसी का न हो कर भी,
बस उसी का होना प्रेम है।

प्रेम होगा तुम्हारे लिए,
प्रेमी संग हम बिस्तर होना।
मेरे लिए, यही प्रेम है।
यही प्रेम है।
यही प्रेम है।
यही प्रेम है।
© Vardan Jindal \'सुगत\'

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11 Comments

Marium

01-Mar-2022 04:30 PM

बहुत सुंदर रचना

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Punam verma

23-Feb-2022 09:34 AM

Nice

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